Saturday, November 13, 2010

shoredil

हमसफ़र, हमराह, हमदम, आप बन पाये नहीं !
क्या हुआ, आने का कहकर, आप फिर आये नहीं !!
नींद गर आती तो शायद, आप आते ख्वाब  में !
लाख चाहा, फिर भी खुद को,हम सुला पाये नहीं !!
दिल गवाया, चैन खोया, है तुम्हारे इश्क में !
सच है यह, की आज तक हम, फिर भी पछताए नहीं !!
आप की, आँखों को बस, देखा ही था, चूमा न था !
आज तक उसका नशा है, होश में आये नहीं !1
दामने-दिल अपना हमने, होते देखा तार-तार !
आपकी खुशियों की खातिर,कुछ भी कह पाये नहीं !!

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